Kishor Katyal | 6:41pm Sep 29 |
प्रार्थना का सही समय
प्रातः काल जब संसार में चुपचाप होती है
यह दुनिया सब की सब आराम की निद्रा में सोती है।
इधर पृथ्वी उधर आकाश और आकाश के तारे
किसी कारण रूके लगते हैं अपनी चाल से सारे ।
निराला रंग होता है इन चारों दिशाओं में
नया संसार आता है नज़र तारों की छायों में ।
दया आकाश से भगवान की ऐसी बरसती है
नज़र आता है इस बस्ती में कोई बस्ती है।
समय बस है यही तेरा सफल जीवन बनाने का
अमर जगदीश के चरणों में अपना सर झुकाने का।
Maharaj shri
प्रातः काल जब संसार में चुपचाप होती है
यह दुनिया सब की सब आराम की निद्रा में सोती है।
इधर पृथ्वी उधर आकाश और आकाश के तारे
किसी कारण रूके लगते हैं अपनी चाल से सारे ।
निराला रंग होता है इन चारों दिशाओं में
नया संसार आता है नज़र तारों की छायों में ।
दया आकाश से भगवान की ऐसी बरसती है
नज़र आता है इस बस्ती में कोई बस्ती है।
समय बस है यही तेरा सफल जीवन बनाने का
अमर जगदीश के चरणों में अपना सर झुकाने का।
Maharaj shri
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