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Wednesday, November 7, 2012

Fwd: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings



---------- Forwarded message ----------
From: Maneesh Bagga <maneeshbagga@saimail.com>
Date: 2012/11/6
Subject: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings
To: hamare sai <hamaresaibaba@googlegroups.com>





आध्यात्मिक विषयों में साम्प्रदायिक प्रवृत्ति उन्नति के मार्ग में एक बड़ा रोड़ा है । निराकारवादियों से कहते सुना जाता है कि ईश्वर की सगुण उपासना केवल एक भ्रम ही है और संतगण भी अपने सदृश ही सामान्य पुरुष है । इस कारण उनकी चरण वन्दना कर उन्हें दक्षिणा क्यों देनी चाहिये? अन्य पन्थों के अनुयायियों का भी ऐसा ही मत है कि अपने सदगुरु के अतिरिक्त अन्य सन्तों को नमन तथा उनकी भक्ति न करनी चाहिए । इसी प्रकार की अनेक आलोचनाएँ साईबाबा के सम्बन्ध में पहले सुनने मे
ं आया करती थी तथा अभी भी आ रही है । किसी का कथन था कि जब हम शिरडी को गये तो बाबा ने हमसे दक्षिणा माँगी । क्या इस भाँति दक्षिणा ऐठना एक सन्त के लिये शोभनीय था? जब वे इस प्रकार आचरण करते है तो फिर उनका साधु-धर्म कहाँ रहा । परन्तु ऐसी भी कई घटनाएँ अनुभव में आई है कि जिन लोगों ने शिरडी जाकर अविश्वास से बाबा के दर्शन किये, उन्होंने ही सर्वप्रथम बाबा को प्रणाम कर प्रार्थना भी की। 
(श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 35)
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