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Wednesday, September 5, 2012

praarthna


Nandini Sharma Vjm 5:27pm Sep 5
पारा कहूँ या पारसमणि, कुछ सूझता नहीं,
हेरान हूँ की आपकी खीद्ध्मत में क्या कहूँ,
तुझे दीप कहूँ या ज्योति, तुझे सीप कहू या मोती,
तुझे स्नेह कहूँ या अमृत, तुझे नीर कहूँ या सागर,
तुझे सूरज कहूँ या चंदा, तुझे रतन कहूँ या हीरा,
तेरा नाम रहेगा रोशन, जग में जब तक है उजियारा |
चंदा में भी दाग हैं, पर आप में नही,
हीरे में भी खोट हैं , पर आप में नही,
आशीष हो गर आपका तो धन्य हो जाऊ
जीवन तलक परभु की भक्ति को पा जाऊ
यही अभिलाषा यही जीवन की ध्यये है
परभु आपकी किरपा की पातर हो जाऊ

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