Guruvar Sudhanshu maharaj duaara kahee gayee prarthanay started by mggarga on 22 /9/2007
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Wednesday, February 18, 2015
मनुष्य की यही महिमा
"मनुष्य की यही महिमा हें कि वह स्वतन्त्र हें कर्म करने में और न करने में भी वह स्वतन्त्र हें और यही उसका विषाद भी हें । मनुष्य गलत करने में भी स्वतन्त्र हें । स्वतन्त्रता में गलत और सही दोनों की स्वतन्त्रता हें ।"
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