आत्म जागरण का पथ
जीवन बडा विचित्र हे , कब क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता ! भविष्य में क्या होगा
पता नहीं हे ! काल का रूप इतना भयंकर हे सब निगल जाता हे , संभाला जा सकता हे तो केवल वर्तमान को संभाला जा सकता हे ! जो क्षण चल रहा हे वही तो वर्तमान हे ,इसी को ठीक करना होगा !अपना रासता स्वंय बनाना होगा ! जीवन में उन्नति कर सकते हें जो स्वंय अपने को उपदेश दे सकते हें !
Guruvar Sudhanshu maharaj duaara kahee gayee prarthanay started by mggarga on 22 /9/2007
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Sunday, September 21, 2014
आत्म जागरण का पथ
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