गुरु चरण की महिमा
कथ कथी न जाय !
मुझ तुच्छ बुद्धि दीन पर
सत गुरु होंगे सहाय !!
धूल गुरु के चरणों की
चंदन और अबील बनी!
जिसने भी मस्तक से लगाईं
उसकी ही तकदीर बनी !!
गुरु तो सुमरत साईं या
मैं कैसे करुं बखान !
दया करके दीन पर
चरणों मैं दीया स्थान !!
इस बुद्धि हीन का
गुरु कोटि कोटि प्रणाम !
जानू मैं कुछ भी नहीं
कैसे करूं बखान !!
जैसे सूर्य प्रकाश के आगे
दीपक की क्या पहचान !
ऐसे दींन दयाल गुरु देव को
बार -बार प्रणाम !!
गुरु ज्ञान की गंगा
बहती रहें दिन रात !
गोता जिसने भी लगाया
वह हो गया भाव से पार !!
गुरु ज्ञान की खान है
बाटत है दिन रात !
पाए कोई बडभागी
मिटे जंमों का मेल !!
गुरु महिमा वोही जाने
जिन गुरु किया होय !
नुगरा जन क्या जाने
गुरु रसना कैसी होय !!
गुरु बिन ज्ञान न उपजे
कटे न कर्म की धार !
गुरु बिन मिटे न आपा
गुरु बिन घोर अंधार !!
गुरु है परमेश्वर
परमेश्वर गुरु माहीं !
दोनो परसपर एक हैं
दोनो मैं भेद हे नाहीं !!
सतगुरु के सत बोल से
उपजे भक्ति विराम !
मोह माया बंधन छूटे
अंत पाए विश्राम !!
गुरुदेव कृपा करके
दिया नाम आधार !
जो गुरु मिलते नहीं
तो जाता जैम के द्वार !1
गुरु सेवा जो करे
जनम सफल हो जाए 1
जैसे मिटटी धान संग
धान के मोल बिकाए !!
गुरु देव दाता दींन के
मैं हूँ अवगुण भरा !
राख लीजियों लाज
मैं हूँ शरण पडा !!
सदा हमारे चित्त बसों
मोहे बिसारो न एक बार !
यह वर मांगू बार -बार
रहे तुम्हारा ध्यान उचार !!
गुरुदेव मन्त्र दे के
बना दिया धनवान !
संसार के झूंटे धन की
अब हो गई पहचान !!
सत गुरु हैं संगी साथी
सत गुरु हैं आधार !
सत गुरु के सत बोध से
हो जाए बेड़ा पार !!
गुरु बड़े कुम्भार हैं
घड घड काढ़े खोट !
अन्दर देते हथारा
बहार देते चोट !!
गुरु की महिमा है प्यारी
कैसे करूँ बखान !
जैसे सागर की गहराई
कोई सका न जान !!
बादल बरसे ऋतू अपनी
गुरु बरसे नित नेम !
तन मन शीतल करे
ऐसी गुरु की देन !!
लाखों चंदा उगें
सूरज चढ़ें हजार !
गुरु बिन ज्ञान न उपजे
गुरु बिन घोर अंधार !!
एक नजर दो आँख हैं
एक शब्द दो कान !
यूँ गुरु परमेश्वर एक हैं
जान सके तो जान !!
आत्मा और परमात्मा
जुदा रही बहु काल !
सुंदर मिलाप करा दिया
सात गुरु दीन दयाल !!
जितने नभ मैं तारे
उतने अवगुण हमारे !
कृपा गुरुदेव करें
अवगुण कबहूँ न निहारें !!
सत गुरु की कृपा से
मिटा मोह अज्ञान !
मन अन्दर आनंद भयो
दूर हुआ अभिमान !!
सत गुरु बड़े दयालु हैं
परखें खरा और खोट !
भाव सागर से निकाल लें
राखें अपनी ओट !!
सत गुरु शांति स्वरूप है
जो नित नित दर्शन पाए 1
अंदर अनहद आनंद मिले
जीवन सफल हो जाए !!
गुरु पूर्ण परमात्मा
दया दृष्टी जो होए !
ताके दुःख दर्द मिटें
ब्रह्म मिलेंगे तोए !!
तीन लोक नव खंड मैं
गुरु सम दाता न कोई !
करता करे ना कर सके
गुरु करे तो होई !!
गुरुदेव दाता के
जोभी शरण मैं जाए !
आपा मिटे मन का
नित नित दर्शन पाए !!
गुरु गुण मैं क्या लिखूं
कोई न सके पाए !
मैं तुच्छ बुद्धि क्या जानूं
गुर देव होंगे सहाए !!
गुरु कृपा शबरी पर हुई
हरीजी पहुंचे द्वार !
जीवन उसका सफल हुआ
प्रभु प्रत्यक्ष निहार !!
गुरु बडे शराफ हैं
नित नित काढे खोट !
भवसागर से निकाल के
राखें अपनी औट !!
गुरु की सेवा सफल है
जिसने की चित्त लाइ !
उसे सहज मुक्ति मिली
बंधन छुटे क्षण माही !!
मदन गोपाल गर्ग
गुरु वंदना
गुरु को वंदन कीजिए
दिन में सो-सो बार !
कागा से हंसा किया
करत न लागी बार 11
भक्ति दान मोहे दीजिए
गुरु देवन के देव !
और नहीं कुछ चाहिए
निस दिन तुमरी सेव !!
यह तन विष की बैल हे
गुरु अमृत की खान !
शीश दी जो गुरु मिले
तो भी सस्ता जान !!
दाता मोहे न बिसारिए
चाहे लाखों लोग मिल जायं !
हम सम तुम को बहुत हैं
तुम सम हम को नाय !!
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु
गुरु देवो महेश्वरा !
गुरु साक्षात पर ब्रह्म
तस्मै श्री गुरुवे नाम: !!
ध्यान मूल गुरु मूर्ती
पूजा मूल गुरु पद !
मत्रं मूल गुरु वाक्य
मोक्ष मूल गुरु कृपा !!
No comments:
Post a Comment