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Saturday, October 6, 2012

shirdi sai teachings



Maneesh Bagga







गुरुकृपा
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गत अध्यायों की कथाओं से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि गुरुकृपा की केवल एक किरण ही भवसागर के भय से सदा के लिये मुक्त कर देती है तथा मोक्ष का पथ सुगम करके दुःख को सुख में परिवर्तित कर देती है । यदि सदगुरु के मोहविनाशक पूजनीय चरणों का सदैव स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे समस्त कष्टों और भवसागर के दुःखों का अन्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा हो जायेगा । इसीलिये जो अपने कल्याणार्थ चिन्तित हो, उन्हें साई समर्थ के अलौकिक मधुर लीलामृत का पान करना चाहिये । ऐसा करने से उनकी मति शुद्घ हो जायेगी ।
(श्री साई सच्चरित्र, अध्याय 42)



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श्री साईं-कथा आराधना (भाग-16)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

साईं तो हैं इस पूरे ब्रह्मांड के नायक
दुःख हरते सब तरह से बनते सहायक
मां बायजा का ऋण साईं ने ऐसे चुकाया
तांत्या का जीवन मौत के हाथों बचाया
तांत्या बच गया और साईं चले गए
देखते ही देखते समाधिस्थ हो गए
जिसने भी सुना वो स्तब्ध रह गया
एक पल में शिर्डी मे मातम ठहर गया
देह छोड़ने से पहले बाबा ने लक्ष्मी से था कहा
तेरी भक्ति को याद रखेगा ये सारा जहां
बाबा ने उसे भक्ति के नौ रूप थे दिए
नौ सिक्कों के रूप में भक्ति के नए अर्थ दे दिए

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

बाबा के देह त्यागने की जब खबर फैल गई
शिर्डी में चारों ओर से भीड़ जमा हो गई
शिर्डी के नर-नारी मस्ज़िद की ओर दौड़ पड़े
कुछ रोने लगे और कुछ बेसुध होकर गिर पड़े
अब बाबा की अंतिम क्रिया की बहस चल पड़ी
साईं हिंदू थे या मुसलमान, चर्चा ये चल पड़ी
कुछ यवन बाबा को दफनाने को कहने लगे
कुछ बाबा को बूटीवाडे़ में रखने की फरियाद करने लगे
आखिर में सबने बूटीवाडे़ में रखने का फैंसला किया
इसके लिए उसका बीच का भाग खोदा गया
बाबा बूटीवाडे़ को सार्थक कर गए
मुरलीधर की जगह साईं खुद मुरलीधर ही बन गए

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए......



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