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Thursday, July 26, 2012

भगवान् से यह प्रार्थना


समय की धारा को कोई नहीं रोक सकता..दुनिया में हमने सब कुछ पाया है और यही सब कुछ छोड़ जायेंगे..आंख बंद होते ही सब चीजें पराई हो जाती हैं...जीवन में एक स्थिति ऐसी भी आती है कि बुजुर्ग व्यक्ति अपने घर में पराये की तरह जीवन व्यतीत करता है..उस आदमी को दवाई लेने में भी किसी का सहारा लेना पड़ता है..छोटा नन्हा बच्चा अपने दादाजी को कहता है--दादाजी!! आपको भोजन करना भी नहीं आता,,कपड़ों पर गिराते हो और हाथ में चम्मच थमाता है कि ऐसे खाइए...उस समय दादा बच्चे को कैसे समझाए कि उसके पिता को भी उन्होंने ही खाना सिखाया था...इसलिए भगवान् से यह प्रार्थना कीजिये--हे भगवान्!!!जब तक मैं संसार में रहूँ,,समर्थ होकर रहूँ,,किसी की सहायता की जरुरत न पड़े...मेरा शरीर,,मेरा मन,, मेरी बुद्धि,,मेरी आत्मा और मेरी शक्ति मेरा साथ निभाती रहे....दुनिया में हम जब तक जियें कर्मठ बनकर जियें....सुधांशुजी महाराज

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