परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Guruvar Sudhanshu maharaj duaara kahee gayee prarthanay started by mggarga on 22 /9/2007
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Saturday, October 24, 2015
जीवन का उद्देश्य
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Fwd:
When BHAKTI enters FOOD,
FOOD becomes PRASAD,
When BHAKTI enters HUNGER,
HUNGER becomes a FAST,
When BHAKTI enters WATER,
WATER becomes CHARANAMRIT,
When BHAKTI enters TRAVEL,
TRAVEL becomes a PILGRIMAGE,
When BHAKTI enters MUSIC,
MUSIC becomes KIRTAN,
When BHAKTI enters a HOUSE,
HOUSE becomes a TEMPLE,
When BHAKTI enters ACTIONS,
ACTIONS become SERVICES,
When BHAKTI enters in WORK,
WORK becomes KARMA,
AND
When BHAKTI enters a MAN,
MAN becomes HUMAN.
😇😇😇😇😇
20 रूपये लीटर में बिक
आज देश के 80% रेलवे स्टेशन
पर खारा पानी मिलता
है।
और बोतल बँद पानी धड्ले
से 20 रूपये लीटर में बिक
रहा है।
मेरा मानना है की
करोड़ो रूपये की लागत से
बने रेलवे स्टेशन पर क्या
3-4 लाख रूपये और लगाकर
30-40 RO water फ़िल्टर
नहीं लगाये जा सकते।
आप कह सकते है की इनका
maintenence महंगा हो
जायेगा तो मेरा तर्क है
की क्या इन RO के पास में
दान पात्र रखा जा
सकता है।
मुझे पूरा विशवास है की
मेरे भारत वर्ष की
दानवीर जनता 1-2 रूपये
करके daily इतना पैसा तो
डाल ही देगी की जितने से
इन RO का daily
maintenence हो सके।
इससे न केवल जनता को
मज़बूरी में पानी 20 रूपये
लीटर खरीदना पड़ेगा
बल्कि साथ ही प्लास्टिक
बोतलों से पर्यावरण को
होने वाले नुकसान से देश
को मुक्ति मिल जाएगी।
हाँ ऐसा होने पर पानी
बेचने वालो की जरुर
छुट्टी हो जाएगी।
किसी सरकार ने ऐसा
किया नहीं
क्योंकि 1 रूपये से भी कम
का पानी जब 20 रूपये में
बिकता है तो शेयर उपर
तक जाता है।
क्या इस पानी घोटाले
को बंद करवाने के लिए आप
हमारे साथ हैं।
अगर हाँ तो ये मेसेज इतना
शेयर कीजिये की सरकार
तक पहुँच जाये।
क्या आप एक जिम्मेदार
नागरिक होंने का फ़र्ज़
निभाएंगे ?
Fwd: Shared a post - "*Pujyavar with Pujya Morari Bapu in Gujarat..."
Pujyavar with Pujya Morari Bapu in Gujarat Ram Katha on October 20, 2015 Om Guruve Namah ! Historic Moments.....Do santon ka milan Hariom All. Earlier this week on October 20, 2015 our Sadguru was in Gujarat at the Holy ram Katha on invitation of Pujya Morari Bapuji. Two God-Realized saints together and thousands of devotees fee...
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Wednesday, October 21, 2015
Tuesday, October 20, 2015
दुनिया नहीं
दुनिया नहीं
Sunday, October 18, 2015
हर उम्र मैं
Fwd: Watap
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द ..
गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु भगवंत..
गुरु मेरा देऊ , अलख अभेऊ , सर्व पूज चरण गुरु सेवऊ
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु का दर्शन .... देख - देख जीवां , गुरु के चरण धोये -
धोये पीवां..
गुरु बिन अवर नही मैं ठाऊँ , अनबिन जपऊ गुरु गुरु नाऊँ
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु मेरा ज्ञान , गुरु हिरदय ध्यान , गुरु गोपाल पुरख
भगवान्
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
ऐसे गुरु को बल-बल जाइये .. आप मुक्त मोहे तारें..
गुरु की शरण रहो कर जोड़े , गुरु बिना मैं नही होर
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु बहुत तारे भव पार , गुरु सेवा जम से छुटकार
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
अंधकार में गुरु मंत्र उजारा , गुरु के संग सजल निस्तारा
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु पूरा पाईया बडभागी , गुरु की सेवा जिथ
ना लागी
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
Saturday, October 17, 2015
जंगल में रहो
Mantras are Frequencies that can Heal
16/10/2015, 11:29 PM - +91 80557 78985: Mantras are Frequencies that can Heal, Kill and Transcend.. Sanskrit is the oldest language that was based on sounds and vibrations. Every alphabet and its pronounciation have specific meaning; like ku is earth, khE is sky etc. OM is the first and foremost of all mantras. OM is the sound of cosmic energy and contains all the sounds in itself. The spiritual efficacy of OM is heard, not by the ears but by the heart. It surcharges the innermost being of man with vibrations of the highest reality. All galaxies (including ours) are rotating and the sound they make is OM. Frequency of OM is 7.83 Hz , which is inaudible to us as the human ear with it's 2 strand DNA cannot discern sounds of frequency less than 20 hertz. Birds, Dogs and few other animals can hear it. OM has been adapted into other religions as AMEN, 786 ( OM symbol shown in mirror), SHALOM, OMKAR/ONKAR etc, but they do NOT work like the original OM. While OM releases Nitric Oxide, Amen and Shalom only emit a sound. Frequencies of various Beej Mantras OM – 7.83 Hz Gam – 14 Hz Hleem – 20 Hz Hreem – 26 Hz Kleem – 33 Hz Krowm – 39 Hz Sreem – 45 Hz These cosmic sounds were heard by 12 strand DNA maharishis in their spiritual trances which broadened their sense spectrums. However our brain can register the vibrations. Seven Chakras and Mantras Muladhara (मूलाधार) Base or Root Chakra: Cervix/Perineum Sound Note: C Colour: Red Element: Earth Mantra: Lam Frequency in Hz: 261.6, 523.3, 1046.5, 2093, 4186 Keeps you Grounded. Connects your feet to the Earth. Good if you can't make descisions. Swadhisthana (स्वाधिष्ठान) Sacral Chakra: last bone in spine Sound Note: D Colour: Orange Element: Water Mantra: Vam Frequency in Hz: 293.7, 587.3, 1174.7, 2349.3, 4698.7 Emotions, Passion, intuition and creativity. Manipura (मणिपूर) Solar Plexus Chakra : Navel area Sound Note: E Colour: Yellow Element: Fire Mantra: Ram Frequency in Hz: 329.6, 659.3, 1318.5, 2637.1, 5274.1 Confidence, Assertiveness, ability to take a stand and say No. Will Power. Anahata (अनाहत) Heart Chakra: Heart area Sound Note: F Colour: Green Element: Wind Mantra: Yam Frequency in Hz: 349.2, 698.5, 1396.9, 2793.9, 5587.7 Love, Kindness, Compassion, Harmonious relationships. Visuddha (विशुद्ध) Throat Chakra (throat and neck area) Sound Note: G Colour: Blue Element: Sky Mantra: Ham Frequency in Hz: 196, 392, 784, 1568, 3136 Self-Expression and Open communication. Ajna (आज्ञा) Brow Third Eye Chakra (pineal gland or third eye) Sound Note: A Colour: Indigo Element: Body Mantra: OM Frequency in Hz: 110, 220, 440, 880, 1760, 3520. Insight and visualisation. Opens up your perceptive physic ability. Sahasrara (सहस्रार) Crown Chakra (Top of the head; 'Soft spot' of a newborn) Sound Note: B Colour: White (combination of all the colours ) or Violet Element: No Element Mantra: No Sound Frequency in Hz: 123.5, 246.9, 493.9, 987.8, 1975.5, 3951.1 Wisdom. Connecting you to your higher Self and spirituality. Astral projection, Inter galactic travel, higher spiritual powers, timelessness, language of light etc. Advantages of natural production of Nitric Oxide in our body : The anuswaram (nasal sound) MMMM humming boosts the production of Nitric oxide in the body. This was known to Indians and documented more than 7000 years ago. Nadaswaram (Shehnai) is an ancient musical instrument which produces similar nasal sound. OM opens up quantum tunneling, where the wormholes do NOT have a restriction of speed of light. The secrets of this universe are contained in energy, frequency and vibration. If you make the sound of OM in front of a drop of liquid, it will transform itself into a Sri Yantra which is a very specific visual form, which is symmetrical and also holographic, in that every bit of it contains all of it. This Sri Yantra was revealed to Maharishis with 12 strand DNA and king sized pineal glands more than 8000 yrs BC. Sanskrit Mantras have the precise golden ratio of 1.618 sound harmonics ( Fibonacci)
Friday, October 16, 2015
मनुष्य के जीवन
"मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह आवश्यक है कि हर समय प्रभु के अस्तित्व का एहसास हमारे मन में बना रहे। मन में ये प्रश्न हमेशा उठते रहें। इन बहती हुई
नदियों को बहाने वाला कौन है ? रंग-बिरंगी तितलियों के पंखों को कौन रंगता है? कौन है जो इस चन्द्रमा में मुस्कुराता है? किसका प्रकाश सूर्य के द्वारा संसार में फैलता है?
असंख्य जीवों को जन्म कौन देता है? कौन सबको भोजन देता है? फूलों में रंग कौन भरता है? पर्वत किसनेबनाए? आकाश को सितारों से कौन सजाता है?
ऐसे अनेक प्रश्नों को मन में पैदा होने दीजिए । इससे आपके मन में ईश्वर के प्रति भावना जागेगी। आपका उनके प्रति विश्वास बढेगा।
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-10-15 11:02 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
देहि मे सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परं सुखम
रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि।
हे माँ , हे जगदम्बा, मेरा सौभाग्य बढ़ाओ, मेरी उम्र बढ़ाओ, मुझे नीरोग करो। मुझे परम सुख दो, मैं सदा आनंदित रहूँ । मुझे सौभाग्य, सुख, शांति, स्वास्थ्य प्रदान करो। हे माँ जगदम्बा मुझे सुन्दरता दो, मेरा यश बढ़ाओ, मुझे जय दो, मैं सफ़ल होउँ, मैं विजयी होउँ। हे माँ , मुझे दुष्टों से बचाओ, मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो। हे माँ, तुम्हें प्रणाम !
यह प्रार्थना प्रार्थना नहीं, शक्ति का मन्त्र है, इसे जगाओ अपने अन्दर बार-बार और फ़िर देखें आपके सभी कष्ट दूर होगें।
Thursday, October 15, 2015
जो है जैसा
Wednesday, October 14, 2015
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-10-14 16:36 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
नवरात्रि क्या है??? और नवरात्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य.......
नवरात्र शब्द से नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध होता है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है। 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक है।
भारत के प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है, इसलिए दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता,... तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। लेकिन नवरात्र के दिन, नवदिन नहीं कहे जाते।
मनीषियों ने वर्ष में दो बार नवरात्रों का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन अर्थात नवमी तक। और इसी प्रकार ठीक छह मास बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक। परंतु सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।इन नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं। कुछ साधक इन रात्रियों में पूरी रात पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर आंतरिक त्राटक या बीज मंत्रों के जाप द्वारा विशेष सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
नवरात्रों में शक्ति के 51 पीठों पर भक्तों का समुदाय बड़े उत्साह से शक्ति की उपासना के लिए एकत्रित होता है। जो उपासक इन शक्ति पीठों पर नहीं पहुंच पाते, वे अपने निवास स्थल पर ही शक्ति का आह्वान करते हैं।
आजकल अधिकांश उपासक शक्ति पूजा रात्रि में नहीं, पुरोहित को दिन में ही बुलाकर संपन्न करा देते हैं। सामान्य भक्त ही नहीं, पंडित और साधु-महात्मा भी अब नवरात्रों में पूरी रात जागना नहीं चाहते। न कोई आलस्य को त्यागना चाहता है। बहुत कम उपासक आलस्य को त्याग कर आत्मशक्ति, मानसिक शक्ति और यौगिक शक्ति की प्राप्ति के लिए रात्रि के समय का उपयोग करते देखे जाते हैं।मनीषियों ने रात्रि के महत्व को अत्यंत सूक्ष्मता के साथ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में समझने और समझाने का प्रयत्न किया। रात्रि में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। आधुनिक विज्ञान भी इस बात से सहमत है। हमारे ऋषि - मुनि आज से कितने ही हजारों वर्ष पूर्व ही प्रकृति के इन वैज्ञानिक रहस्यों को जान चुके थे।
दिन में आवाज दी जाए तो वह दूर तक नहीं जाएगी , किंतु रात्रि को आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसके पीछे दिन के कोलाहल के अलावा एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं। रेडियो इस बात का जीता - जागता उदाहरण है। कम शक्ति के रेडियो स्टेशनों को दिन में पकड़ना अर्थात सुनना मुश्किल होता है , जबकि सूर्यास्त के बाद छोटे से छोटा रेडियो स्टेशन भी आसानी से सुना जा सकता है।
वैज्ञानिक सिद्धांत यह है कि सूर्य की किरणें दिन के समय रेडियो तरंगों को जिस प्रकार रोकती हैं , उसी प्रकार मंत्र जाप की विचार तरंगों में भी दिन के समय रुकावट पड़ती है। इसीलिए ऋषि - मुनियों ने रात्रि का महत्व दिन की अपेक्षा बहुत अधिक बताया है। मंदिरों में घंटे और शंख की आवाज के कंपन से दूर - दूर तक वातावरण कीटाणुओं से रहित हो जाता है। यह रात्रि का वैज्ञानिक रहस्य है। जो इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए रात्रियों में संकल्प और उच्च अवधारणा के साथ अपने शक्तिशाली विचार तरंगों को वायुमंडल में भेजते हैं , उनकी कार्यसिद्धि अर्थात मनोकामना सिद्धि , उनके शुभ संकल्प के अनुसार उचित समय और ठीक विधि के अनुसार करने पर अवश्य होती है।
नवरात्र या नवरात्रि::
संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण हैं। नौ रात्रियों का समाहार, समूह होने के कारण से द्वन्द समास होने के कारण यह शब्द पुलिंग रूप 'नवरात्र' में ही शुध्द है।
नवरात्र क्या है
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियाँ हैं। उनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियाँ बढ़ती हैं, अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुध्द रखने के लिए और तनमन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है।
नौ दिन या रात
•
अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। यहाँ रात गिनते हैं, इसलिए नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है।रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है। इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। इन मुख्य इन्द्रियों के अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुध्दि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुध्दि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छ: माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है। सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुध्दि, साफ सुथरे शरीर में शुध्द बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुध्द होता है। स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
नौ देवियाँ / नव देवी
नौ दिन यानि हिन्दी माह चैत्र और आश्विन के शुक्ल पक्ष की पड़वा यानि पहली तिथि से नौवी तिथि तक प्रत्येक दिन की एक देवी मतलब नौ द्वार वाले दुर्ग के भीतर रहने वाली जीवनी शक्ति रूपी दुर्गा के नौ रूप हैं-
1. शैलपुत्री
2. ब्रह्मचारिणी
3. चंद्रघंटा
4. कूष्माण्डा
5. स्कन्दमाता
6. कात्यायनी
7. कालरात्रि
8. महागौरी
9. सिध्दीदात्री
इनका नौ जड़ी बूटी या ख़ास व्रत की चीजों से भी सम्बंध है, जिन्हे नवरात्र के व्रत में प्रयोग किया जाता है-
1. कुट्टू (शैलान्न)
2. दूध-दही,
3. चौलाई (चंद्रघंटा)
4. पेठा (कूष्माण्डा)
5. श्यामक चावल (स्कन्दमाता)
6. हरी तरकारी (कात्यायनी)
7. काली मिर्च व तुलसी (कालरात्रि)
8. साबूदाना (महागौरी)
9. आंवला(सिध्दीदात्री)
क्रमश: ये नौ प्राकृतिक व्रत खाद्य पदार्थ हैं।
अष्टमी या नवमी::
यह कुल परम्परा के अनुसार तय किया जाता है। भविष्योत्तर पुराण में और देवी भावगत के अनुसार, बेटों वाले परिवार में या पुत्र की चाहना वाले परिवार वालों को नवमी में व्रत खोलना चाहिए। वैसे अष्टमी, नवमी और दशहरे के चार दिन बाद की चौदस, इन तीनों की महत्ता 'दुर्गासप्तशती' में कही गई है।
जय माँ भवानी.
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Wed, Oct 14, 2015 at 4:54 PM
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
आपका वास्तविक
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-10-13 14:28 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
सर्वमंगल मांग्लये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुति।।
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनि।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः।।
मॉ दुर्गा आपकी रक्षा करें।
Happy & Blessed Navratri
Wednesday, October 7, 2015
आपका वास्तविक
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Monday, October 5, 2015
जिदंगी मे
गुरुकृपा का अर्थ
गुरुकृपा का अर्थ यह नहीं की जीवन में दुःख न आए, लेकिन दुःख में भी आप दुखी न हों...वह समय कब बीत जाए आपको पता न चले.. यही हे गुरुकृपा।
Sunday, October 4, 2015
Fwd: mggarga2013@gmail.com sent you an image file!
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Thu, Oct 1, 2015 at 4:51 PM
Subject: mggarga2013@gmail.com sent you an image file!
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
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