Guruvar Sudhanshu maharaj duaara kahee gayee prarthanay started by mggarga on 22 /9/2007
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Thursday, October 9, 2014
Wednesday, October 8, 2014
जो अपने लक्ष्य
- Visit Daily BLOGS For MORE POSTINGSपरम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया हो उसे ही प्रकाश का दर्शन होता हे !जो थोडा इधर थोडा उधर हाथ मारते हें वे कोइ लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते ! वे कुछ क्षणों के लिये बडा जोश दिलाते हें ,किन्तु यह शीघ्र ठंडा हो जाता हे !
Monday, October 6, 2014
प्रत्येक स्थान
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं |
Sunday, October 5, 2014
हे ब्रह्मज्ञान के प्रकाशपुंज
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
हे ब्रह्मज्ञान के प्रकाशपुंज
पुस्तक : संचेतना जुलाई २००७हे सदगुरूदेवा हे ब्रह्मज्ञान के प्रकाशपुंज। हे सृजनात्मक शक्ति के स्वामी। हम सभी भक्तों का श्रद्धा भरा प्रणाम स्वीकार हो।
हे त्रिगुणातीत आप दयालु हो, परम कृपालु को, धर्म के संवाहक हो, ऋषि -मुनियों की परंपरा के सजीव उदाहरण हो, काल -कालांतर के वृताँतों और अनुभवों की सुखद अनुभूति हो, आपने हमें परिश्रम, पुरूषार्थ , साहस, सहनशक्ति, तन्मयता, स्वावलंबन, नियमितता, व्यवस्था, स्वच्छता, सेवा और सहयोग रूपी अनुपम सीख देकर जो हमारे ऊपर उपकार किया है, इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
हे मानवता के पथ प्रदर्शक। आपकी ज्ञानमयी अमृत वाणी सदैव हमारे अंग संग रहती है। भगवान की स्तुति, प्रार्थना, उपासना में आपका सदज्ञान एवं निर्देशन ही सहायक सिद्ध होता है। भाव में अभाव में, उन्नति-अवनति में और जीवन की सुनसान राहों में आप सखा बनकर हमेशा हमारे साथ रहते हो।आपके आशीष का अमृत सदैव हमें प्राप्त होता रहे, यही हमारी अभिलाषा है।
हे ज्ञान के सागर। आपके ब्रह्मज्ञान की अनुगूँज से अंतर्मन में शान्ति कि उत्पति होती है। तब हारे अन्त:करण में आनन्द की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं और हमारा रोम-रोम आनन्द से पुलकित हो जाता है जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण तथा प्रेमपूर्ण हो जाता है। हे गुरूवर। हमारा ह्रदय सदैव आपसे जुडा रहे, हम पर आपकी कृपा बरसती रहे और हमारा मै आपके श्रीचरणों में लगा रहे। यही प्रार्थना है, याचना है, स्वीकार कीजिए। हम सबका बेडा पार कीजिए।
गुरू चरणों में समस्त शिष्यों के ह्रदयों की आर्त्त पुकार
भक्त वह हे
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मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
- भक्त वह हे जो अपना मन उस पृथवी के समान बना ले जिसमें लोग विष्ठा डालते हें पर वह
अन्न देती हे !
Friday, October 3, 2014
Thursday, October 2, 2014
संत कबीर दोहे
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
संत कबीर दोहे
सब धरती कागद करूं, लखनी सब बनराय।
सात समुँदर की मसि करूं, गुरू गुन लिखा न जाय।!
कबीर ते नर अंध है, गुरू को कहते और।
हरी रूठे गुरू ठौर है, गुरू रूठे नहीं ठौर।।
गुरू बडे गोविन्द ते, मन में देखू विचारी।
हरी सुमिरे सो बार, गुरू सुमिरे सो पार।।
Wednesday, October 1, 2014
गुरू महिमा
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मदन गोपाल गर्ग ,एल एम्, वी जे एम्
गुरू महिमा
गुरू गोविन्द दोउ ,खडे काके लागुं पाय।
बलिहारी गुरूदेव की ,जिन गोविंस दियो बताय।।
गुरू बिन ज्ञान न उपजे ,गुरू बिन भक्ति न होय।
गुरू बिन संशय ना मिटे ,गुरू बिन मुक्ति न होय।।
गुरू -धोबी शिष्-कापडा ,साबुन -तिरजनहार।
तुरत -सिला पर धोइये ,निकले रंग अपार।।
गुरू गोविन्द दोउ ,खडे काके लागुं पाय।
बलिहारी गुरूदेव की ,जिन गोविंस दियो बताय।।
गुरू बिन ज्ञान न उपजे ,गुरू बिन भक्ति न होय।
गुरू बिन संशय ना मिटे ,गुरू बिन मुक्ति न होय।।
गुरू -धोबी शिष्-कापडा ,साबुन -तिरजनहार।
तुरत -सिला पर धोइये ,निकले रंग अपार।।
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